Devaldevī
Sudhir Maurya
इस उपन्यास की नायिका अन्हिलवाड़ की राजकुमारी देवलदेवी है, पर इसका कथानक खुसरोशाह के बिना पूरा नहीं हो सकता। देवलदेवी और खुसरोशाह भारतीय इतिहास के वो रोशन सितारे हैं जिन्हें हमेशा बादलों या कुहासे के पीछे रहना पड़ा। खुसरोशाह अन्हिलवाड का वो युवा था जिसने अपने पराक्रम से खिल़जी वंश को समूल उखाड़ फेंका और अन्हिलवाड़ विध्वंस का प्रतिशोध लिया। देवलदेवी, जिसकी देह बार-बार विडम्बना की शिकार हुई, सुअवसर की प्रतीक्षा में यह विषपान करती रही, और उन्हें वो सुअवसर उपलब्ध करवाया महान सम्राट श्री धर्मदेव (नसरुद्दीन खुसरोशाह) ने। देवलदेवी का शौर्य किसी तरह पद्मनी, दुर्गावती और लक्ष्मीबाई से कम नहीं है; और न ही खुसरोशाह का राणा प्रताप और शिवाजी से, परन्तु इतिहास ने इन महान विभूतियों को भुला दिया। यह उपन्यास महान खुसरोशाह और देवलदेवी की स्मृतियों को पुन: स्थापित करने का सफल प्रयास है। आशा है कि इतिहास इन महान विभूतियों के साथ न्याय करेगा।
درجه (قاطیغوری(:
جلد:
1
کال:
2018
خپرونه:
1
خپرندویه اداره:
Redgrab books
ژبه:
hindi
صفحه:
144
ISBN 10:
9387390195
ISBN 13:
9789387390195
ISBN:
B0796X5ZFS
فایل:
PDF, 944 KB
IPFS:
,
hindi, 2018